आखिर कब होगी सुबह...

भेदभाव सदियों से रहा है ,समाज के मन में
जब बात आती है  औरत की ,
वेद हो या पुराण,
रामायण या महाभारत,
बताती हैं हमारे ग्रंथो की पौराणिक  कहानियां ,
कौन नहीं जानता अहिल्या की कहानी ,
बलि चढ़ गयी थी इसी क्रूरता की,
एक तथाकथित महान संत की ,
शालीन , खूबसूरत  पत्नी ,
हुयी थी शापित ऐसे कृत्य के लिए ,
जो उसने किया ही नहीं .....

इन्द्र हमारे यश्स्वी देवताओं का राजा ,

वेश बदल कर अहिल्या के पति का  ,
एक दिन करता है पोषित अपनी वासना...
और वो क्रोधित महान संत  ,
नहीं समझते अहिल्या की मनोदशा,
और श्राप देते हैं उसे पत्थर बन जाने का ,
ये कह कर की वो तभी पवित्र होगी ,
जब श्री राम के चरण करेंगे उसका उद्धार ,
और अहिल्या अपने पति की आज्ञा स्वीकार कर ,
इंतज़ार करती  रही वर्षों तक मुक्ति का ,
अपनी आत्मा को पत्थर में कैद कर ... ,

ये है हमारा समाज और इस समाज के पुरुष,

जो आदमी के कुकर्मों की सजा भी देते है स्त्री को ,
अहिल्या का अस्तित्त्व आज भी नहीं बदला ,
और न ही बदले आधुनिक समाज के तथाकथित संत ,
जो आज भी बलात्कार के बाद स्त्री से करते हैं प्रश्न ,
तुमने छोटे कपडे क्यों पहने थे ?
और भला क्यों निकली थी घर से अकेली ?
कौन कहता है समय बदल गया ?
तब सतयुग था अब कलयुग हैं ,
युग बदल गए ,
लेकिन समाज की मानसिकता नहीं .......
..........................................................ममता ..














Comments

  1. सच है अपने समाज मिएँ पुरुष मानसिकता नहीं बदली ... शायद अभि और प्रयास बाकी है ...

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    1. धन्यवाद Digamber Naswa ji. आपने कविता पढ़ी और विचार व्यक्त किये

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  2. यतार्थ चित्रण .....

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    1. आभार कौशल ...तुमने समय निकला मेरी पोस्ट पढने का ...:)

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  3. Interesting and nice Blog .Do keep writing Mitr .

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    1. धन्यवाद मित्र ...होसला अफजाई का शुक्रिया..

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  4. बदलने लगी है और बदलेगी - प्रभावी प्रस्तुति

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    1. धन्यवाद राकेश कौशिक जी ....उम्मीद है ..:)

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