आज कुछ नया करें....
सुबह से शाम , शाम से सुबह ,
यूँ ही बेवजह सी बीत रही है ज़िन्दगी ...........
घडी की सुईयों के साथ गोल गोल घूमती,
बिना रफ़्तार की गाड़ी सी चलती जा रही है ज़िन्दगी .......
आटा ,दाल ,नमक ,तेल की चिंता में
महीने दर महीने खत्म हो रही है जिंदगी......
चलो आज कुछ नया करें ,
प्रकृति से उधार ले लें.....
एक टुकड़ा आसमान,
स्वछन्द उड़ान भरने के लिए ..
एक ताज़ी हवा का झोंका ..
अपनी प्रदूषित सांसो को मह्काने के लिए....
थोड़े से रंग इन्द्रधनुष के,
अपनी बदरंग जिंदगी को सतरंगी बनाने के लिए...
फूलों से थोडा मधुरस ,
अपने अंदर की कड़वाहट में फिर मिठास भरने के लिए..
तितली की चंचलता,
सुनहरी धूप,
अपने अंतर्मन को प्रकाशमय करने के लिए...
विहंगों के कलरव, नदी की कलकल ,
उबती जिंदगी को मधुर संगीत की लय देने के लिए...
पता है आप कहेंगे ,
इन सबसे घर नहीं चलता,
पर ये जरूरी हैं,
अपनी मर रही संवेदनाओं को पुनर्जीवित करने के लिए .....
.............................................................................................ममता
यूँ ही बेवजह सी बीत रही है ज़िन्दगी ...........
घडी की सुईयों के साथ गोल गोल घूमती,
बिना रफ़्तार की गाड़ी सी चलती जा रही है ज़िन्दगी .......
आटा ,दाल ,नमक ,तेल की चिंता में
महीने दर महीने खत्म हो रही है जिंदगी......
चलो आज कुछ नया करें ,
प्रकृति से उधार ले लें.....
एक टुकड़ा आसमान,
स्वछन्द उड़ान भरने के लिए ..
एक ताज़ी हवा का झोंका ..
अपनी प्रदूषित सांसो को मह्काने के लिए....
थोड़े से रंग इन्द्रधनुष के,
अपनी बदरंग जिंदगी को सतरंगी बनाने के लिए...
फूलों से थोडा मधुरस ,
अपने अंदर की कड़वाहट में फिर मिठास भरने के लिए..
तितली की चंचलता,
बच्चे की तरह रूठ गयी अपनी मुस्कराहट को गुदगुदाने के लिए ...
सुनहरी धूप,
अपने अंतर्मन को प्रकाशमय करने के लिए...
विहंगों के कलरव, नदी की कलकल ,
उबती जिंदगी को मधुर संगीत की लय देने के लिए...
पता है आप कहेंगे ,
इन सबसे घर नहीं चलता,
पर ये जरूरी हैं,
अपनी मर रही संवेदनाओं को पुनर्जीवित करने के लिए .....
.............................................................................................ममता
बोझिल होती जिंदगी में ऐसे ही सुखद अनुभव भरी बाते हमें ताजगी दे जाती है..
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति हेतु धन्यवाद!
बहुत बहुत धन्यवाद कविता जी , आपको ये रचना पसंद आई ...
ReplyDeleteवाह आदरणीया ममता जी वाह बहुत ही सुन्दर बात कही है आपने, जिंदगी जीने के नए आयाम दे दिए आपने बहुत ही सहजता और सुन्दरता से लिखी रचना हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें.
ReplyDeleteधन्यवाद अरुण जी ....और रचनाएँ भी हैं १ नज़र उन पर भी डालियेगा..
Deleteबहुत बहुत धन्यवाद अरुण जी आपकी टिप्पणियां उत्साह बढाती हैं...
ReplyDeleteBahut sundar bhav aur jiwan ki sachai ke karib apki rachna... badhai Mamta ji.
ReplyDeletea very beautiful and meaningful poem !
ReplyDeleteधन्यवाद पुष्पेन्द्र जी ....१.२ और भी कवितायेँ नयी लिखी हैं उन्हें भी देखिएगा ...
Deleteबहुत गहरे शब्द जिनमे रोजमरा का चक्र .....................बहुत अच्छी अभिव्यक्ती ..
ReplyDeleteधन्य्वास प्रवीन जी ....और भी कवितायेँ देखिएगा
Deleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ............बेहतरीन पंक्तियां ..चलो आज कुछ नया करें ,
ReplyDeleteप्रकृति से उधार ले लें.....
एक टुकड़ा आसमान,
स्वछन्द उड़ान भरने के लिए ..
एक ताज़ी हवा का झोंका ..
अपनी प्रदूषित सांसो को मह्काने के लिए....
थोड़े से रंग इन्द्रधनुष के,
अपनी बदरंग जिंदगी को सतरंगी बनाने के लिए...
रंगों से सजी जिंदगी के लिए शुभकामनाएँ
ReplyDelete"इन सबसे घर नहीं चलता पर ये जरूरी हैं ......
ReplyDeleteघर चलाने वाले को मुकुराहट के साथ घर चलाने के लिए
प्रेरित करने के लिए.......
एक सुंदर विचार की सुंदर अभिव्यक्ति.....!!!
बधाई एवं मेरी शुभकामनाएँ !!!
मंगलवार 18/06/2013 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं ....
ReplyDeleteआपके सुझावों का स्वागत है ....
धन्यवाद !!
धन्यवाद vibha जी मेरी ये पोस्ट लिंक करने के लिए ......
Deleteजिंदगी सात रंगों से सजी है ,कौनसा रंग किसको पसंद है यह तो कहना मुस्किल है .रचना सुन्दर है
ReplyDeletelatest post पिता
LATEST POST जन्म ,मृत्यु और मोक्ष !
बहुत बहुत आभार ,आपकी दी हुयी जानकारी se मैंने सेटिंग change कर ली
ReplyDeleteहै ....
lovely..
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