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अभिनंदन नव वर्ष ....

अपनी बंद रहस्यमयी पंखुड़ियों को खोल,  एक बार फिर खिलने को है नववर्ष का फ़ूल ।     एक बार फिर उगेंगे कल्पनाओं के पंख,      एक बार फिर सजेंगे नव संकल्पों के दीप।  पतझड़ के पीले पत्तों से झड़ जायेंगे सारे दुःख , नयी कोपलों सी फिर जन्म लेगी आशाएं ।     सतरंगी पंखुड़ियों में खो जायेगें गम के आंसू,   ओस की बूदों सी चमकेंगी मुसकानें नयी उमंगो की।  चलो भर कर मन में फिर एक विश्वास नया, करें अभिनन्दन नव वर्ष के चढते सूरज का । स्नेह और आत्मियता बरसेगी पुरानी रंजिशों को भूल,                         एक बार फिर खिलने को है नववर्ष का फूल।                            ममता            ------------ * --- *------------