उड़ान...

कभी कभी सोचती हूँ,
पंछी बन जाऊं   ,
अनासक्त, तटस्थ,
बंधन से मुक्त ,
उम्मीदों से दूर,
कोई पहचान नहीं,
किसी की यादों में भी नहीं, 
पेड़ों की डालियों में झूलती
शाम की गुनगुनी हवाओं में गोते लगाऊं,
खुले आसमान के नीचे, 
सितारों से बातें करती,
इधर से उधर,
बस उन्मुक्त उड़ती रहूँ ,
में चाहती हूँ 
पंछी बन जाऊं ...
                                ...mamta 






Comments

  1. मुझे भी बहुत पसंद पक्षियों का जीवन
    आपने मेरे दिल की बात कह दी
    शुक्रिया
    हार्दिक शुभकामनायें
    http://vranishrivastava1.blogspot.in/2013/09/blog-post_3.html

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    Replies
    1. आभार आपका vibha जी आपको मेरी कविता पसंद आई ..तहे दिल se शुक्रिया..

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  2. मंगलवार 17/09/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    आप भी एक नज़र देखें
    धन्यवाद .... आभार ....

    ReplyDelete
    Replies
    1. पोस्ट लिंक करने के लिए आभार vibha जी ... :)

      Delete
  3. आपको बहुत - बहुत बधाई व शुभकामनायें . बेहद उच्चस्तरीय , आभार

    ReplyDelete
    Replies
    1. आपका बहुत बहुत धन्यवाद मदन मोहन जी आपको कविता पसंद आई...

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