बांवरा मन !!
क्यों चंचल है ये मन..?
क्यों भागता है ये मन?
क्यों ठहरता नहीं है तू ,
क्यों समझता नहीं है तू...
घूमता है यादों में भूत की ...
उड़ता है सपनों में भविष्य के ...
रोता है उस पर जो चला गया...
पकड़ना चाहता है उसे जो तेरा है ही नहीं....
क्यों जीता नहीं इस पल को जो तेरे साथ है?
अनदेखी करता है वो ख़ुशी जो तेरे आसपास है..
बीते हुए कल में है, न आने वाले कल में है ..
ख़ुशी तो बस वर्तमान के इस सुनहरे पल में है...
क्यों ठहरता नहीं है तू ,
क्यों समझता नहीं है तू...
मन की बात .... सुन्दर
ReplyDeleteधन्यवाद Barthwal जी...
Delete
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर,ममता जी !!!
धन्यवाद हंस देव जी ..
Deleteबीते हुए कल में है ,न आने वाले कल में है
ReplyDeleteख़ुशी तो बस वर्तमान के इस सुनहरे पल में है......
....... आपके इस विचार से बिलकुल समत हूँ ममता जी....
... बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
धन्यवाद कौशल जी आपको रचना पसंद आई...:)
Delete