कौन अपना ~~~~कौन पराया~~~~
मापदंड क्या है ? कि कौन अपने कौन पराये होते हैं , आँखों से जो दिखते हैं ,क्या बस वही रिश्ते सच्चे होते हैं .. कुछ अपने होकर एहसासहीन, अपनों के दर्द से आँख मूँद लेते हैं , कहीं कुछ बेगाने भी अपना बन हाथ थाम लेते है .. कुछ लोग खून के रिश्ते भी भुला देते हैं, कुछ लोग बिन रिश्ते भी रिश्ता निभा लेते हैं .. कहीं कुछ अपने बेरहमी से दिल तोड़ देते हैं , कहीं कुछ अनजाने लोग अनूठा बंधन जोड़ लेते हैं .. कभी अपनों की भीड़ में भी सब बेगाना सा लगता है , कभी अंजानो के बीच में कोई अपना सा लगता है .. कहीं खून के रिश्तों में भी , जज्बात नहीं होते , कहीं अनजान के जज्बों में भी लगता है ,खून दौड रहा है .. .......